चौसठवें नवांश के स्वामी को ऐसे जानें
जन्मकुंडली में 64 वें नवांश को जानने के लिए ज्योतिष गणना का सहारा लेना पड़ता है, जिससे ज्ञात होता है की यह अष्टम स्थान में आता है।
जन्म कुंडली में चंद्रमा के अंशों को चंद्रमा से अष्टम भाव में रखना होता है, इसे सरल शब्दों में ऐसे में भी समझ सकते हैं कि इसे हम नवांश कुंडली अर्थात डी 9 चार्ट से भी देख सकते हैं।
नवांश वर्ग कुंडली में चंद्र जिस राशि में स्थित होता है उससे गिनने पर चौथे भाव में जो राशि स्थित होगी वहीं 64वें नवांश का स्वामी होगा , अर्थात चौथे भाव का स्वामी 64वें नवांश का स्वामी कहलाता है।
इसके अलावा नवांश के प्रत्येक भाव से 64वां नवांश ज्ञात किया जा सकता है और इसमें भी लग्न से चौथे भाव तक गिनने पर जो राशि मिलती है वह नवांश के लग्न का 64वां नवांश बनती है, 64वां नवां अष्टम भाव मध्य होता है।
64वां नवांश गणना मतभेद
64 वें नवांश गणना में भी अलग-अलग विचार प्राप्त होते हैं। एक और पराशर होरा शास्त्र के अनुसार 64वें नवांश की गणना लग्न से और चंद्र से दोनों द्वारा की जानी चाहिए।
दूसरी और जातक परिजात के अनुसार चंद्र द्वारा ही इसे ज्ञात करने की बात कही गई है।
वहीं कुछ के अनुसार प्रत्येक भाव के लिए इसकी गणना की जा सकती है और प्रत्येक भाव का 64वां नवांश जाना जा सकता है। एक बात जो यहां महत्वपूर्ण बनती है वह यह कि यदि परिणामों की सटिकता को जानना हो तो दोनों ही प्रकार से इसकी गणना करना अनुकूल रह सकता है इसके द्वारा हम बेहतर परिणामों को प्राप्त कर पाने में सक्षम हो सकते हैं। काम्या वैदिक एस्ट्रो की पोस्ट
64वें नवांश की दशा
64वें नवांश के स्वामी की दशा को छिद्रा दशा के नाम से भी जाना जाता है।आठवां भाव होने के कारण ही इसे छिद्र या छिद्र नाम दिया गया है।
छिद्र ग्रह की दशा जातक के जीवन को कई तरह से प्रभावित करने वाली होती है।जीवन में ऐसी घटनाएं होती हैं जो जीवन का मार्ग बदल देने में भी सक्षम होती हैं।
इस समय पर सकारात्मकता की स्थिति कम देखने को मिल सकती है।जिम्मेदारियों में वृद्धि का समय होता है। परिवार, रिश्तो, कार्यक्षेत्र, धन संपदा इत्यादि में इसके चलते बदलाव और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं।
64वें नवांश का स्वामी, स्वास्थ्य समस्या, दुर्घटना, चिंता, अचानक से होने वाली घटनाओं और शुभता की कमी के चलते परेशानी का सबब बनता है।
जब गोचर में पाप ग्रह 64 वें नवमांश पर गोचर करते हैं तो उस नवांश के स्वामी और भावों को प्रभावित करने वाले होते हैं।
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार जन्म कुंडली में 64वें नवांश का ग्रह जब शनि, राहु-केतु या मंगल के साथ छठे आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो या संबंध बनाए तो, ऐसे में जातक को कष्ट प्राप्त होता है और कई मामलों में अपने लोगों द्वारा ही कष्ट की स्थिति भी झेलनी पड़ सकती है।
लेकिन इसमें यदि ग्रहों की कुछ शुभता हो तो इस स्थिति से बचाव भी हो सकता है। क्योंकि शुभ ग्रह का प्रभाव बहुत हद तक पाप प्रभावों को कम करने में कुछ सहायक बन सकता है।
64 वें नवांश के स्वामी की दशा करियर में बदलाव लाती है, परिवार में कोई बदलाव हो सकता है व्यक्ति की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है, आर्थिक हानि या सामाजिक हानि की स्थिति भी हो सकती है। मानसिक चिंताएं एवं रोग व्याधि का प्रभाव भी जातक पर पड़ सकता है।
Recent Comments