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मोहिनी एकादशी व्रत आज


हर माह दो एकादशी होती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। मई महीने में हजार गायों के दान के बराबर फल देने वाला मोहिनी एकादशी और 100 यज्ञों के बराबर फल देने वाली मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
कहते हैं कि एकादशी के दिन धरती की स्थिति ऐसी होती है, जब ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रवाह हो रहा होता है। इसलिए उस दिन जीवों को भूख कम महसूस होती है। इसीलिए एकादशी की तिथि को साधु-संत व्रत करते थे, ताकि वे भी उस ऊर्जा के साथ खुद को जोड़ सकें। व्रत करने से शरीर की शुद्धि भी हो जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत करने से मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है। सुख-समृद्धि के साथ जीवन का आनंद उठाने के बाद अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। मोहिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ने या सुनने से एक हजार गायों के दान के बराबर पुण्य मिलता है।

मोहिनी एकादशी की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। एकादशी तिथि 7 मई को सुबह 10:19 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 8 मई को दोपहर 12:29 मिनट पर तिथि खत्म होगी। इस साल मोहिनी एकादशी 8 मई 2025 को गुरुवार के दिन मनाई जाएगी।

व्रत पारण का समय

मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 9 मई 2025 को किया जाएगा। व्रत पारण का मुहूर्त सुबह 5:34 मिनट से सुबह 8:16 मिनट तक रहेगा।

मोहिनी एकादशी का महत्व

मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है। समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत को जब असुरों ने छीन लिया था, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। उसी घटना को याद करते हुए मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है।

मोहिनी एकादशी की पूजा विधि

एकादशी के दिन की शुरुआत देवी-देवताओं के नाम से करें।
स्नान करने के बाद मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें।
देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें।
विधिपूर्वक आरती करें।
विष्णु चालीसा का पाठ करें।
श्रीहरि के मंत्रों का जप करें।
पंचामृत, फल और मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
आखिरी में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।