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  • .   🌹 “”मधुराष्टकम्””🌹अधरं मधुरं वदनं मधुरं,नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।हृदयं मधुरं गमनं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥१॥(हे कृष्ण !) आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुरहै, आपकी ऑंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है,आपका हृदय मधुर है, आपकी चाल मधुर है, मधुरताके ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है ॥१॥वचनं मधुरं चरितं मधुरंवसनं मधुरं वलितं मधुरम्।चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥२॥आपका बोलना मधुर है, आपके चरित्र मधुर हैं,आपके वस्त्र मधुर हैं, आपका तिरछा खड़ा होनामधुर है, आपका चलना मधुर है, आपका घूमनामधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सबकुछ मधुर है ॥२॥वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरःपाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥३॥आपकी बांसुरी मधुर है, आपके लगाये हुए पुष्पमधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं ,आपका नृत्य मधुर है, आपकी मित्रता मधुर है,मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।गीतं मधुरं पीतं मधुरंभुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।रूपं मधुरं तिलकं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥४॥आपके गीत मधुर हैं, आपका पीना मधुर है,आपका खाना मधुर है, आपका सोना मधुर है,आपका रूप मधुर है, आपका टीका मधुर है,मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछमधुर है ॥४।।करणं मधुरं तरणं मधुरंहरणं मधुरं रमणं मधुरम्।वमितं मधुरं शमितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥५॥आपके कार्य मधुर हैं, आपका तैरना मधुर है,आपका चोरी करना मधुर है, आपका प्यारकरना मधुर है, आपके शब्द मधुर हैं, आपकाशांत रहना मधुर है, मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण!आपका सब कुछ मधुर है ॥५॥गुंजा मधुरा माला मधुरायमुना मधुरा वीची मधुरा।सलिलं मधुरं कमलं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥६॥आपकी घुंघची मधुर है, आपकी माला मधुर है,आपकी यमुना मधुर है, उसकी लहरें मधुर हैं,उसका पानी मधुर है, उसके कमल मधुर हैं,मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछमधुर है ॥६॥गोपी मधुरा लीला मधुरायुक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥७॥आपकी गोपियाँ मधुर हैं, आपकी लीला मधुर है,आप उनके साथ मधुर हैं, आप उनके बिना मधुरहैं, आपका देखना मधुर है, आपकी शिष्टता मधुर है,मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुरहै ॥७॥गोपा मधुरा गावो मधुरायष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।दलितं मधुरं फलितं मधुरंमधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥८॥आपके गोप मधुर हैं, आपकी गायें मधुर हैं,आपकी छड़ी मधुर है,आपकी सृष्टि मधुर है,आपका विनाश करना मधुर है, आपका वरदेना मधुर है..मधुरता के ईश हे श्रीकृष्ण!आपका सब कुछ मधुर है….॥८॥🙏💐🙏