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दीपावली विशेष : पोस्ट -2

 

*( लक्ष्मी साधना साधना विधि को एकदम छोटे रूप में पोस्ट कर रहा हूँ ताकि सभी व्यक्ति दीपावली के दिन साधना कर सकें । )*

 

पवित्रीकरण

 

बायें हाथ में जल लेकर उसे दाये हाथ से ढक कर मंत्र पढे एवं मंत्र पढ़ने के बाद इस जल को दाहिने हाथ से अपने सम्पूर्ण शरीर पर छिड़क ले

॥ ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥

 

💢 आचमन

 

मन , वाणि एवं हृदय की शुद्धि के लिए आचमनी द्वारा जल लेकर तीन बार मंत्र के उच्चारण के साथ पिए ।

( ॐ केशवया नमः , ॐ नारायणाय नमः , ॐ माधवाय नमः )

ॐ हृषीकेशाय नमः ( इस मंत्र को बोलकर हाथ धो ले )

 

💢 शिखा बंधन

 

शिखा पर दाहिना हाथ रखकर दैवी शक्ति की स्थापना करें चिद्रुपिणि महामाये दिव्य तेजः समन्विते ,तिष्ठ देवि शिखामध्ये तेजो वृद्धिं कुरुष्व मे ॥

 

 

💢 आसन पूजन

 

अब अपने आसन के नीचे चन्दन से त्रिकोण बनाकर उसपर अक्षत , पुष्प समर्पित करें एवं मन्त्र बोलते हुए हाथ जोडकर प्रार्थना करें

 

ॐ पृथ्वि त्वया धृतालोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।

त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् ॥

 

💢 दिग् बन्धन

 

बायें हाथ में जल या चावल लेकर दाहिने हाथ से चारों दिशाओ में छिड़कें

 

॥ ॐ अपसर्पन्तु ये भूता ये भूताःभूमि संस्थिताः । ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया , अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचाः सर्वतो दिशम् । सर्वे षामविरोधेन पूजाकर्म समारम्भे ॥

 

💢 गणेश स्मरण 💢

 

सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः । लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः ॥

धुम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः । द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि ॥

विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा । संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते ॥

 

♦️ श्री गुरु ध्यान

 

॥ श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः प्रार्थनां समर्पयामि , श्री गुरुं मम हृदये आवाहयामि मम हृदये कमलमध्ये स्थापयामि नमः ॥

 

💢 गणेश पूजन 💢

 

ध्यान

 

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं

प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम् ।

दन्ताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दुरशोभाकरं

वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ॥

ॐ गं गणपतये नमः ध्यानं समर्पयामि ।

 

♦️ ॐ गणपतये नमः आवाहयामि आसनार्थे पुष्पं समर्पयामि । गंध , अक्षत , पुष्पाणि , दूर्वांकुरान , सिन्दूरं , समर्पयामि । धूपं दीपं दर्शयामि , नैवेद्यं निवेदयामि , सदक्षिणाम समर्पयामि ।

 

( भगवान गणेश जी को ऊपर बताए गए सामग्री चढ़ाएं । )

 

💢 लक्ष्मी पूजन 💢

 

ध्यान

 

पद्मासनां पद्मकरां पद्ममालाविभूषिताम्

क्षीरसागर संभूतां हेमवर्ण – समप्रभाम् ।

क्षीरवर्णसमं वस्त्रं दधानां हरिवल्लभाम्

भावेय भक्तियोगेन भार्गवीं कमलां शुभाम्

सर्वमंगलमांगल्ये विष्णुवक्षःस्थलालये

आवाहयामि देवी त्वां क्षीरसागरसम्भवे

पद्मासने पद्मकरे सर्वलोकैकपूजिते

नारायणप्रिये देवी सुप्रीता भव सर्वदा

 

♦️ ॐ महालक्ष्म्यै नमः आवाहयामि आसनार्थे पुष्पं समर्पयामि । गंध , अक्षत , पुष्पाणि समर्पयामि । धूपं दीपं दर्शयामि , नैवेद्यं निवेदयामि , सदक्षिणाम समर्पयामि ।

 

( माता लक्ष्मी जी को ऊपर बताए गए सामग्री चढ़ाएं । )

 

💥 कमलगट्टे की माला या स्फटिक माला से लक्ष्मी मन्त्र का जाप अपनी सुविधनुसार करे ।

 

॥ ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः ॥

 

जप समर्पण –

( दाहिने हाथ में जल लेकर मंत्र बोलें एवं जमीन पर छोड़ दें )

॥ ॐ गुह्यातिगुह्य गोप्ता त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं ,

सिद्धिर्भवतु मं देवी त्वत् प्रसादान्महेश्वरि ॥

 

श्री लक्ष्मी जी की आरती

 

ॐ जय लक्ष्मी माता , मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुमको निसिदिन सेवत हर – विष्णू – धाता ॥ ॐ जय ॥

उमा , रमा , ब्रह्माणी , तुम ही जग – माता

सूर्य – चन्द्रमा ध्यावत , नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय ॥

दुर्गारुप निरञ्जनि , सुख – सम्पति – दाता

जो कोइ तुमको ध्यावत , ऋधि – सिधि – धन पाता ॥ ॐ जय ॥

तुम पाताल – निवासिनि , तुम ही शुभदाता

कर्म – प्रभाव -प्रकाशिनि , भवनिधिकी त्राता ॥ ॐ जय ॥

जिस घर तुम रहती , तहँ सब सद् गुण आता

सब सम्भव हो जाता , मन नहिं घबराता ॥ ॐ जय ॥

तुम बिन यज्ञ न होते , वस्त्र न हो पाता

खान – पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ ॐ जय ॥

शुभ – गुण – मन्दिर सुन्दर , क्षीरोदधि – जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोइ नहि पाता ॥ ॐ जय ॥

महालक्ष्मी जी कि आरति , जो कोई नर गाता

उर आनन्द समाता , पाप उतर जाता ॥ ॐ जय ॥

 

क्षमा – याचना

 

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि । यत्युजितं मया देवी परिपूर्ण तदस्तु मे ॥

॥ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् , पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरी

अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम , तस्मात् कारुण्यभावेन रक्ष मां परमेश्वरी ।।

 

श्री महालक्ष्म्यै नमः क्षमायाचनां समर्पयामि

 

ना तो मैं आवाहन करना जानता हूँ , ना विसर्जन करना जानता हूँ और ना पूजा करना हीं जानता हूँ । हे परमेश्वरी क्षमा करें । हे परमेश्वरी मैंने जो मंत्रहीन , क्रियाहीन और भक्तिहीन पूजन किया है , वह सब आपकी दया से पूर्ण हो ।

 

  •  🙏 ॐ तत्सद् ब्रह्मार्पणमस्तु 🙏